मंगलवार, फ़रवरी 13, 2018

इसीलिये सूरज डूबा है, कल फिर नया सबेरा हो ।

इसीलिये सूरज डूबा है, कल फिर नया सबेरा हो ।
ख़्वाब अधूरा रहे न कोई, तेरा हो या मेरा हो ।

फूल खिले तो बिखरे ख़ुशबू, बिना किसी भी बंधन के,
रहे न दिल में कभी निराशा, उम्मीदों का डेरा हो ।

जहां -जहां भी जाये मनवा, अपनी चाहत को पाये,
इर्दगिर्द चौतरफा हरदम ख़ुशियों वाला घेरा हो ।

आंसू दूर रहें आंखों से, होंठों पर मुस्कान बसे,
दुख ना आये कभी किसी पर, सिर्फ़ सुखों का फेरा हो ।

कुण्ठा का तम घेर न पाये, मुक्त उजाला रहे सदा,
"वर्षा" रोशन रहे हर इक पल, कोसों दूर अंधेरा हो ।
     💕- डॉ. वर्षा सिंह

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