ग़ज़ल पत्रिका By Dr Varsha Singh
क्या बात वाह! बहुत ख़ूब!अरे! मैं कैसे नहीं हूँ ख़ास?
यही तो प्रेम पंथ है
प्रेम की मंजिल यही तो है ...
ह्रदय स्पर्शी
क्या बात वाह! बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंअरे! मैं कैसे नहीं हूँ ख़ास?
यही तो प्रेम पंथ है
जवाब देंहटाएंप्रेम की मंजिल यही तो है ...
जवाब देंहटाएंह्रदय स्पर्शी
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